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Tuesday 25 August 2015

love is life .




चारों तरफ अजीब आलम हादसों में पल रही है जिंदगी,
फूलों  के  शक्ल में अंगारों  पर चल  रही है  जिंदगी.

आदमी  खूंखार  वहसी  हो  गए हैं इस जमाने में,
दूध साँपों को पिलाकर खुद तड़प रही है जिंदगी.

हमारी कौम ने जो बाग सींचे थे अपना लहू देकर,
उन्हीं बाग के कलियों का मसलना देख रही है जिंदगी.

उजड रहे हैं रोज गुलशन अब कोई नजारा न रहा,
तलवारों खंजरों रूपी दरिंदों से लुट रही है जिंदगी.

अब  तो यातनाओं  के अंधेरों में ही होता है सफर,
लुट रही बहन-बेटियाँ असहाय बन गयी है जिंदगी.

हर पल सहमी-सहमी है घर की आबरू बहन-बेटियाँ,
हर तरफ  हैवानियत का आलम नीलम ही रही है जिंदगी.

चुभती है यह बीरेंद्र को कविता ग़ज़ल सुनाने का न रहा अब हौसला,

 अब तो इस जंगल राज में कत्लगाह बन गयी है जिन्दगी

खूब पढ़े लिखे लोग आखिर पागल क्यों लगने लगते हैं?

जिस तरह पदार्थ सूक्ष्म कणों से बना है, उसी तरह प्रकाश भी सूक्ष्म ऊर्जा कणों से बना है। ये ऊर्जाकण निश्चित मात्रा में प्रवाहित होते रहते हैं। यह पता लगने के बाद पिछले सौ वर्षों में विज्ञान की दुनिया ही बदल दी।

जानकार हैरानी होगी कि इस तथ्य का पता म्यूनिख विश्वविद्यालय से वि‌ज्ञान पढ़ा रहे मैक्स प्लैंक के सपने से हुआ था। इसके बाद तो आकाश में आवाज से भी तेज चलने वाले विमान और अंतर‌िक्ष में विद्युत तंरगों से होड़ लेने वाले यान दौड़ने लगे।

इक्कीस वर्ष की आयु में भौतिक शास्त्र में पीएचडी करने के बाद वहीं पढ़ाने लगे प्लैंक के मन में नया कुछ करने की धुन थी, जिससे मनुष्य जाति कृतकृत्य हो जाए। बीस साल तक वे प्रयोगशाला में शोध प्रयासों में लगे रहे। प्रयोग, परी‌क्षण और अनुसंधान में दिन रात जुटे रह कर भी उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ।
लगभग बीस साल लगे रहने पर भी कोई सार्थक निष्कर्ष नहीं निकल सका था। प्लैंक सोचने लगे थे कि क्या बीस सालों का श्रम यूं ही निरर्थक चला जाएगा। सन् 1900 के अक्टूबर महीने में एक सपने ने उनके सामने वह रहस्य ला कर रख दिया जिसने पदार्थ की तरह ऊर्जा के लोक का भी अस्तित्व सिद्ध कर दिया।

आज हम जिन खोजों, प्रयोगो और आविष्कारों से मनुष्य जाति को समृद्ध होता देख रहे हैं, वह प्लैंक की तरह और लोगों द्वारा भी देखे गए सपनों का चमत्कार है।
1903 में राइट ब्रदर ने हवाई जहाज बना कर उड़ा दिया तो उसकी सूझ भी सपने से ही आई थी। सिलाई मशीन बना लेने के बाद उसकी सूई बनाने की तकनीक भी इलियास होवे के सपने में ही क्लिक हुई थी।

बंदूक की गोलियों, अणु को तोड़कर बम बना लेने और पीढ़ी दर पीढ़ी अपने पुरखों की विरासत साथ लेकर जन्म लेने और अपनी अलग पहचान भी रखने वाले गुणसूत्र (डीएनए) का पता, फिर फेड्रिक ओगस्ट द्वारा बेनजीन जैसा जटिल रासायनिक फार्मूला तैयार करने जैसे चमत्कारों की भी सपने के आभारी ही माना जाता है।
जैम्स वॉटसन जिन्होनें अपने मित्र फ्रांसिस क्रिक के साथ मिलकर डी..नए की खोज की थी, का कहना था कि उन्होंने अपने सपने में ढेर सारी स्पायरल सीढियां देखी थी जिस कारण ये बेहतरीन खोज वे कर पाए।

जो सत्य, तथ्य और रहस्य जागती हुई अवस्था में लाख सिर खपा कर भी हाथ नहीं आते वे सपने की एक झलक से उजागर हो जाते हैं।

इस सचाई का एक ही अर्थ है कि मनुष्य सबसे बड़ा चमत्कार है। अध्यात्म इस निष्कर्ष पर लाकर छोड़ देता है कि एक मनुष्य इतना चमत्कारी हो सकता है तो संसार में फैले छह अरब लोग अपने भीतर क्या क्या संभावनाएं लिए हुए होंगे


जिन्हें आमतौर पर सनकी समझा जाता है, जरूरी नहीं कि वे भटके हुए लोग हों। तथ्य यह सामने आया है कि सनकी समझे जाने वाले लोगों में ज्यादातर प्रतिभाशाली लोग होते हैं। वे सनकी या भटके हुए इसलिए समझे जाते हैं कि उनका व्यवहार, रहन सहन और काम करने का ढंग सामान्य लोगों से अलग होता है।

मिशिगन यूनिवर्सिटी, अमेरिका के मन:शास्त्रविभाग के प्रमुख ओलिवर होम्स की देखरेख में हुए एक अध्ययन के मुताबिक नब्बे से पंचानवे प्रतिशत प्रतिभाशाली लोग व्यक्तित्व से असहज लगते हैं। असहज अर्थात वे दुनियादार और कामयाब लोगों से अलग तरह के होते हैं। यूनिवर्सिटि के करीब 35शोधछात्रों ने प्रो. होम्स के निर्देशन में प्रसिद्ध विभूतियों का अध्ययन किया।
उस अध्ययन के अनुसार प्रतिभावान एक सीमा तक पागल होते हैं। वे अपनी सनक को इस कदर सही मानते हैं कि उन्हें यथार्थता के रूप में अनुभव करने लगते हैं। अध्ययन के अनुसार प्रतिभाशाली व्यक्ति एक सनक की पूर्ति में अपनी समग्र मानसिक चेतना झोंकनी पड़ती है।

इसका परिणाम यह होता है कि विभिन्न प्रयोजनों में काम करने वाली मानसिक क्षमताएं जब एक केन्द्र पर केन्द्रीभूत होती हैं, तो वे उस प्रयोजन में तो असाधारण रूप से सफल होते हैं किन्तु मस्तिष्कीय क्षमता के अन्य क्षेत्र में अविकसित रह जाते हैं। नतीजतन उनके दैनिक जीवन की सामान्य प्रवृत्तियासीमित एवं अस्त-व्यस्त रह जाती हैं।
कोई सर्वांगीण प्रतिभावान नहीं होता वरन् किसी दिशा विशेष में ही उनका चिन्तन तल्लीन रहने से उसी सीमा तक सीमित रह जाता है। फलतः उनके दैनिक जीवन की गतिविधियों को देखकर लोग जहाँ सनकी मानने लगते हैं। वहां उनकी कार्य विशेष में अद्भुतता की छाप भी मानते हैं।

अध्ययन के अनुसार प्रतिभावान व्यक्ति अपने काम इतनी लगन और और उत्साह से करते हैं कि सचमुच पागल नहीं होते। वे अपने कामों को इस लगन और उत्साह से करते हैं कि और तथ्यों की उपेक्षा करने लगते हैं। ऐसे तथ्य जो दूसरों की दृष्टि से किसी सुयोग्य व्यक्ति में अनिवार्य रूप से होने चाहिए।
अध्ययन में फ्रांस के साहित्यकार एलनेजेक्टर डयूमा, मोपासां, वालट स्काट, अंग्रेज कवि शैली आदि का स्वभाव और आदतें शामिल हैं। प्रसिद्ध वैज्ञानिक और मनीषी आइन्स्टीन के जीवन की एक घटना का जिक्र भी अध्ययन में किया गया है। घटना बहुतों को पता होगी कि आइंस्टीन एक मित्र के यहां रात्रि भोज पर गए। उन्हें जल्दी वापस लौटना था।

पर वे समझ बैठे कि यह घर मेरा है और मित्र दावत पर आए हैं। वे बार-बार घड़ी देखते। बहुत देर हो गई तो उनने अपने मित्र को पधारने तथा इतना समय देने के लिए धन्यवाद दिया और उन्हें फिर कभी पधारने की बात कहकर विदाई शिष्टाचार निभाया।

जब मित्र हंस पड़े तो उन्हें पता चला कि यह उस मित्र का घर है और यहां में ही निमन्त्रित हूं। आइंस्टीन ही क्या इस तरह की घटनाएं कितने ही प्रतिभाशाली लोगों के बारे में विख्यात है। प्रो. होम्स की मानें तो करीब सभी लोगों के बारे में। कहीं ऐसा तो नहीं कि जितने भी असहज लोग मिलते हैं वे सभी किसी प्रतिभा के धनी हों और उसे निखरने का मौका न मिल रहा हो। इसलिए किसी भी व्यक्ति के सनकी जैसा दिखाई देने पर सावधान रहें।

20 साल के युवा जरूर पढ़ें ये खबर

20 साल की उम्र, वो पड़ाव है जब आप युवा हो चुके होते हैं। जवानी का जोश पूरे चरम पर होता है। इस जोश में कुछ ऐसी गलतियां कर जाते हैं जिनका खामियाजा हो सकता है आगे आपको अपने करियर में भुगतना पड़ सकता है।

अगर आप 20 की इस युवा उम्र में प्रवेश कर रहे हैं या कर चुके हैं तो आपके लिए जरूरी है कि आप जिदंगी की सभी मुश्किलों के सामना करने के लिए खुद को तैयार कर लें।

30
साल की उम्र तक आपने क्या हासिल किया, ये 20 की उम्र में किये गए कामों पर निर्भर करता है। 

स्कूल की पढ़ाई खत्म कर कॉलेज तक आते आते युवा अक्सर मेहनत करना छोड़ देते हैं। युवा सोचते हैं कि सफल होने के लिए सिर्फ शिक्षा और बु‌द्धि ही काफी है। परंतु अच्छी बुद्धि के साथ प्रतिभा और किसी अच्छी यूनीवर्सिटी से डिग्री के बावजूद अच्‍छी नौकरी की गारेंटी नहीं दी जा सकती। अच्छी डिग्री का मतलब बिल्कुल भी नहीं कि हम कड़ी मेहनत का दामन ही छोड़ दें।

आप अपने करियर को महत्वपूर्ण और बेहतर बनाने के लिए क्या कर रहे हैं। टीओआई में छपे लेख में करियर एक्सपर्ट जॉय की सलाह है कि सामाजिक कौशल के अलावा हमारे पास किसी भी विषय को विस्तार से बताने की निपुणता का होना भी बहुत जरूरी है।

युवाओं की सबसे बड़ी गलती यह है कि वह पैसों की बचत नहीं करते है। एक बैंक ने 18 से 29 साल की आयु वाले लोगों पर नया सर्वे किया गया है। 1003 लोगों पर किए गए सर्वे में 69 प्रतिशत लोग ऐसे थे जिन्होंने अभी तक कोई खास बचत नहीं की थी। ऐसे में वह भविष्य में आने वाली जरूरतों को पूरा नहीं कर सकते। अगर वह बचत को जल्दी से जल्दी महत्व देना शुरू नहीं करते तो आगे चलकर उनकी परेशानी का कारण बन सकता है।

एक्सपर्ट अदित्या राथनम कहते है कि इस उम्र में जरुरी नहीं कि शुरुआत से ही बहुत ज्यादा धन निवेश किया जाए। पर यह जरूरी है कि बढ़ते फायदे के साथ निवेश की राशि में भी वृद्धि की जाए। युवाओं को शौक के लिए पैसा उड़ाने की आदत से बचना चाहिए। 


युवा अपने स्वास्‍थ्य को नजंरअदाज करते हैं। जैसे जैसे उम्र बढ़ती है हम अपने आपको वैसा ही सुंदर व आकर्षित दिखाना चाहते है जैसे कॉलेज के दिनों में दिखते थे। 28 की आयु के पास आते ही शराब व नशीली चीजों के सेवन के विचार आना खतरनाक है। युवाओं को नशीली चीजों व ध्रूमपान की आदत से खुद को बचाना चाहिए। 
असवस्‍थ्य भोजन भी व्यवहार को प्रभावित करता है।

कम्युनिकेशन के प्रोफेसर मिकेल का कहना है कि 20 की उम्र में मानसिक रूप से मजबूत होने के लिए ध्यान देने की जरूरत होती है। इससे पहले कि कोई नकारात्मक विचार दिमाग पर हावी हो जाए।

आम तौर पर युवा समस्याओं के आगे जल्दी ही घुटने टेक देते हैं। प्रेम संबध बिगड़ना, नौकरी से निकाले जाने, जैसे कारणों से वह एक दबाव महसूस करते हैं और जिदंगी से निराश होने लगते है। ज‌बकि निराश होने की जगह उन्हें अपने लक्ष्य पर और अधिक ध्यान देना चाहिए। साथ ही असफलता के कारणों को पहचानना चाहिए और अपनी कमी से उबरने के प्रयास करने चाहिए। 

Who is god ? or Alian


आदिकाल से ही इस धरती पर रहने वाले लोगों की दिलचस्पी हमेशा ये जानने में रही है कि इस लोक के अलावा क्या कोई दूसरा लोक भी है जहां कोई जीव रहते हैं? 

विज्ञान को या वैज्ञानिकों को आज तक ऐसे कोई पक्के सुबूत नहीं मिले हैं जिन्हें देखकर ये दावा किया जा सके कि एलियनों का अस्तित्व वाकई में है। दावे प्रतिदावे तरह तरह के रहे हैं। कभी किसी अज्ञात उड़न तश्तरी देखने का दावा तो कभी धरती पर किसी हलचल का दावा।

लेकिन, विभिन्न तरह के साक्ष्य और भी हैं जो संकेत देते हैं कि हो सकता है कि एलियन होते ही हों और वो आज भी धरती पर आते हों और फिर चले जाते हों।

क्या आपने कभी सोचा कि धरती पर ऐसे कई निशान और सुराग मिले हैं जो ना सिर्फ बहुत पुराने हैं बल्कि वो इतने सटीक हैं कि ये सोचना मुश्किल है कि उस काल में रह रहे लोगों ने उन्हें बनाया होगा। इस कड़ी में स्टोनहेंज के रहस्य से लेकर नैजका लाइन्स की सत्यता तक सब कुछ शामिल है।

अगर हम इस विषय पर काम करने वाले विशेषज्ञों की बात मानें तो एलियन के होने-ना-होने की पूरी कहानी इस सोच पर केंद्रित है कि सदियों पहले कई और ग्रहों पर भी एलियन यानी के परलोकी जीवों का वास था।

हिस्ट्री डॉटकॉम के मुताबिक ये सोच मानती है कि दूसरे ग्रहों के ये प्राणी हमसें कहीं ज्यादा ज्ञानी हैं और उन्हें विज्ञान की हमसें कहीं अच्छी समझ है। 

वो ये भी कहते हैं कि एलियनों के पास ऐसे उपकरण और साधन हैं कि वो धरती पर आते हैं और फिर चले जाते हैं। इस उपकरण को अक्सर अज्ञात उड़न तश्तरी यानी अनआइडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट (यूएफओ) के नाम से जाना जाता है। 

चपटे गोले के आकार में दिखने वाले इन विमान के बारे में आज भी कई जगह लोग दावा करते हैं कि उन्होंने यूएफओ को देखा। इन पर कई किस्म की फिल्में बनी हैं। न केवल हॉलीवुड में बल्कि बॉलीवुड में भी। ईटी से लेकर क्रिश तक। 

इसके अलावा लोगों के दावे भी हैरान कर देने वाले रहे हैं। बड़ी आंखें, बड़ा सा सिर, छोटा कद, अजीबगरीब आवाज और रहस्यमयी शक्तियां आदि।
अगर हम इस विषय पर काम करने वाले विशेषज्ञों की बात मानें तो एलियन के होने-ना-होने की पूरी कहानी इस सोच पर केंद्रित है कि सदियों पहले कई और ग्रहों पर भी एलियन यानी के परलोकी जीवों का वास था।

हिस्ट्री डॉटकॉम के मुताबिक ये सोच मानती है कि दूसरे ग्रहों के ये प्राणी हमसें कहीं ज्यादा ज्ञानी हैं और उन्हें विज्ञान की हमसें कहीं अच्छी समझ है। 

वो ये भी कहते हैं कि एलियनों के पास ऐसे उपकरण और साधन हैं कि वो धरती पर आते हैं और फिर चले जाते हैं। इस उपकरण को अक्सर अज्ञात उड़न तश्तरी यानी अनआइडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट (यूएफओ) के नाम से जाना जाता है। 

चपटे गोले के आकार में दिखने वाले इन विमान के बारे में आज भी कई जगह लोग दावा करते हैं कि उन्होंने यूएफओ को देखा। इन पर कई किस्म की फिल्में बनी हैं। न केवल हॉलीवुड में बल्कि बॉलीवुड में भी। ईटी से लेकर क्रिश तक। 

इसके अलावा लोगों के दावे भी हैरान कर देने वाले रहे हैं। बड़ी आंखें, बड़ा सा सिर, छोटा कद, अजीबगरीब आवाज और रहस्यमयी शक्तियां आदि।

क्या आपने कभी नैजका लाइन्स के बारे में सुना है? दक्षिण अमेरिका के पैरू में नैजका रेगिस्तान में ऐसे कई डिजाइन मिले हैं, जिन्होंने पुरातत्वविदों को भी अचरच में डाल दिया।

ये कई तरह की सीधी रेखाएं हैं और कई दूसरे ज्यामितीय आकार भी जिनसे पक्षियों, मनुष्यों और जानवरों की आकृति उकेरी गई है।

वो इतने बड़े हैं कि उन्हें एक बार में ऊपर से ही देखा जा सकता है। लेकिन फिर भी इतने सटीक मानो कोई पैमाना लेकर बनाया गया हो। 

आपको यहां बता दें कि नैजका में 300 साल ईसा पूर्व से लेकर से 800 ईस्वी सदी तक लोग रहे हैं। लेकिन ऐसे कोई साक्ष्य नहीं हैं कि उन्होंने कोई उड़नतश्तरी बनाई हो। 

इस पर एलियन विशेषज्ञों का मानना है कि एलियन वहां आते थे और ये लाइनें उनके स्पेशशिप का रनवे हुआ करती थीं। यानी के ये डिजाइन एलियनों की बनाई हुई है जो आज भी है।

कुछ दावे ऐसे भी हैं जो कहते हैं कि हो सकता है कि उस जमाने के लोगों को भी एयरक्राफ्ट जैसी चीजें बनाने का कोई आइडिया हो, इस वजह से वो रनवे वहां आज भी बना हुआ है। 

लेखक एरिक वॉन डैनिकन 1968 में अपनी किताब 'चैरियट्स ऑफ गॉड' में लिखते हैं कि नैजका दूसरे ग्रहों से आने वाले एलियनों के लिए लैंड करने के लिए चुनिंदा जगह थी। ये उन्हीं का रनवे था। 


उनकी किताब में लिखी गई ये चीज ध्यान देने वाली है कि पेरू में दुनिया के कई तरह खनिज पदार्थों का भंडार है और यहां धरती को लेकर बढ़िया रिसर्च किया जा सकता है। इसलिए, एलियन अपना डेरा डालने के लिए इसी को चुनते थे। यहां उतरकर धरती को समझते थे

आपने रामायण और महाभारत जैसे पुराणों की कई कहानियां तो पढ़ी और सुनी होंगी। उनमें से कई कहानियों में देव या फिर असुरों के विमानों से सफर करने का जिक्र है।

तो उनको संज्ञान में लेकर ऐसा माना जाता है कि वो विमान कुछ और नहीं बल्कि एलियनों के अंतरिक्ष यान थे। हिस्ट्री डॉट कॉम के मुताबिक विमान भी एक तरह से एलियनों के उड़नतश्तरी का संकेत होते थे।

भारत में तो कोई यूएफओ या फिर उड़तश्तरी देखने का किस्सा सुनाई नहीं पड़ता। लेकिन हमारे पुराणों में विमानों के होने को यूएफओ से जोड़कर देखा जाता है। वेदों में जहां हा‌थी के मुख वाले विमान के बारे में बताया गया है वहीं कई पक्षियों को भी इन विमानों का मुख बनाया गया।

यहां तक कि कायरो और गीजा के 3000 साल पुराने न्यू किंगडम मंदिर के खंभों पर भी कई तरह के उड़तश्तरी बने हुए मिले हैं। इनमें से कुछ अंडाकार हैं तो कुछ चपटे हुए। साफ दिखता है कि उन्हें ऐसे चित्रित किया गया है जैसे वो हवा में उड़ रहे हो।

अगर हम विमानों के अस्तित्व को वैज्ञानिक चश्मे से देखें तो मान सकते हैं कि हो सकता है कि हमारे पूर्वज इतने दूरदर्शी रहें हों कि उनके पास भी विमान या फिर किसी इंसान द्वारा बनाई गई चीज को उड़ाने की सोच थी।

बिफोरइटन्यूज डॉटकॉम के मुताबिक साल 2012 में अफगानिस्तान के एक गुफा में 5000 साल पुराने एक विमान मिलने की बात सामने आई थी। 

खबरों के अनुसार उसका राज ढूढ़ने और निकाल बाहर करने के लिए पहले दल में अमेरिकी सेना के 8 लोग भी गए थे। लेकिन, वो फिर कभी बाहर नहीं निकल सके। 
पश्चिमी दक्षिण अमेरिका के इस्टर द्वीप या यूं कहें कि इस्टर द्वीप का मॉय द्वीप सभी के लिए एक सवाल है। लेकिन ऐसी कई चीजें हैं जिनके बारे में समझाना मुश्किल होता है।

चिली के द्वीप में स्थित इस जगह पर ऐसी मानव मूर्तियां मिली हैं जिनके सिर बहुत बड़े हैं। आम इंसान के सिर ऐसे नहीं होते हैं और कोई सोच के भी इन्हें बनाए तो भी हर मूर्ति का सिर इतना बड़ा बनाना मुमकिन नहीं है।

कहते हैं कि रपा नुई सभ्यता के लोग मॉय के वासी थे। उस वक्त की महान हस्तियों के सम्मान में इन पत्‍थरों को खड़ा किया गया। 

ये भी कहा जाता है कि इन पत्‍थरों को खड़ा करने का मतलब था पड़ोसी मुल्क को इशारा देना कि ये मॉय लोगों का मुल्क है। यहां पर भी यही बात सामने आती है कि जिस तरह के पत्‍थरों का प्रयोग इसको बनाने में किया गया है, वैसे पत्‍थर पूरे द्वीप में कहीं नहीं पाए जाते रहें हों, इसका कोई अवशेष नहीं मिलता।

एलियन विषयों पर काम करने वालों का कहना है कि हो सकता है कि यहां एलियन आए होंगे और उन्होंने ही अपनी ऐसी छाप छोड़ी होगी।
साउथ अमेरिका के बोलिविया के पास प्यूमा पंकु नाम की एक जगह है पर कई बड़े पत्‍थरों की ऐसी श्रृखंला है जो बड़ी ही रहस्यमयी और दिलचस्प तरीके ये बनाई गई है।

इनमें से ज्यादातर पत्‍थरों को अंग्रेज़ी के एच और यू शेप में डिजाइन किया गया है। इसका हर पत्थर को बहुत करीने से तरीके से काटा गया है। लगता है जैसे कि हर डिजाइन और कट का कोई ना कोई महत्व होता होगा। हर एक पत्‍थर 800 टन का है। 

पुरात्तविद कहते हैं कि प्यूमा पंकु से सबसे नजदीक पत्‍थर की खान भी मीलों दूर थीं। पत्‍थरों का यहां तक लाना बड़ा असंभव सा काम लगता है। तो वे वहां कैसे लाए गए ये एक अनसुलझी पहेली है।

फिर इनमें तो तकनीक अपनाई गई है वह भी गजब की है। ये अवशेष 1000 साल पुराने हैं। जब इतने सवाल उठते हैं तब कहा जाता है कि कहीं इनके पीछे भी एलियन तो नहीं हैं?

कहते हैं कि प्यूमा पंकु के लोग एलियनों को अपना भगवान मानते थे। एलियन कभी पुमा पंकु पर आए थे, उन लोगों से इस जगह को बनाने की बात कही थी। एलियनों ने इसे बनाने में कुछ मदद की थी और हो सकता है कि अपने भगवान को पूजने का ये स्‍थल माना जाता रहा हो।

वैसे वैज्ञानिकों का भी अनुमान है कि ये कोई पूजा स्थल रहा होगा और इसके चारों ओर चार लाख जैसी कोई आबादी बसती रही होगी।

क्या आपको पता है कि अमेरिका और दुनिया भर में कई जगहों पर फसल से भरे खेतों के बीच अजीबोगरीब डिजाइन मिलते हैं? कभी गोल तो कभी कोई और ज्यामितीय आकृति।

उलझा देने वाले इन पैटर्न को क्रॉप सर्किल का नाम दिया गया है। कई परिवारों ने ऐसा दावा किया है कि जब वो सुबह उठकर अपने खेतों में आए तब उन्हें फसलों की जगह खेत में ऐसे पैटर्न मिले हैं जो वहां रातोंरात कैसे बने, उन्हें नहीं पता। 

गौर करने वाली बात है कि क्रॉप सर्किल की डिजाइन एकदम परफेक्ट ही बनी हर जगह मिली है। ये भी कि जहां पर क्रॉप सर्किल बने मिले हैं, वहां कहीं भी लोगों ने यूएफओ देखने की बात तक नहीं कही।

यूं तो कहा जाता है कि क्रॉप सर्किल के पीछे भी एलियनों का हाथ है, लेकिन अब ये रूक-रूक कर कई जगह इतनी ज्यादा संख्या में पाए जाने लगे हैं कि लगता है कि थोड़ी चर्चा में आने के लिए भी अब लोग इसे बनाते हैं। 

मसलन, इसी साल जनवरी महीने में कैलिफोर्निया में पाए गए एक क्रॉप सर्किल की ने बड़ी सुर्खियां बटोंरी। चर्चा थी चौलर नाम की जगह पर एलियनों ने क्रॉप सर्किल बनाया है। 

सीएनएन के मुताबिक बाद में एक मोबाइल प्रोसेसर कंपनी ने खुलासा किया कि मार्केटिंग के लिए उन लोगों ने क्रॉप सर्किल को अंजाम दिया था। इसी तरह साल 1991 में भी दो आदमियों ने भी बताया था कि क्रॉप सर्किल को उन्होंने जानबूझकर मजे लेने के लिए खुद ही बनाया था।

इस पर भारतीय मूल के हॉलीवुड निर्माता श्यामन नाइट ने एक फ़िल्म भी बनाई थी - द साइन।

पिछले साल जनवरी में हफपोस्ट के हवाले से एक खबर आई थी कि यूएफओ का देखा जाना इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के आस-पास बढ़ गया है।

नासा ने आईएसएस के कैमरों ने कई फुटेजों को रिकॉर्ड किया है जिनमें आईएसएस के चारों ओर और सामने से अंजान चीजों को गुजरते देखा गया है। लेकिन वो उल्कापिंड हैं या फिर एलियनों के यान, इसका कोई ब्यूरा नहीं दिया जा सका है।

दूसरी ओर ये भी गौर करने वाली बात है कि यूएफओ का दिखना उन जगहों पर ज्यादा है जहां परमाणु प‌रीक्षण होते रहते हैं। जैसे की जापान, अमेरिका या फिर चीन। ऐसा माना जाता है कि हम जो परमाणु परीक्षण करते हैं, वो कहीं ना कहीं एलियनों को अपने तकनीक और मशीनी जीवनशैली से मिलती सी लगती है। हो सकता है इसलिए वो वहां पर चक्कर काटने आते हैं। 

लेकिन दूसरी बात भी साथ ही आती है कि ये भी हो सकता है कि परमाणु परीक्षण के दौरान कई तरीके के परीक्षण किए जाते हैं ‌और इसलिए वहां के इलाकों में यान और ऐसी कई चीजों को इंसान ही उड़ाता हो, लेकिन उसे दुनिया कुछ और ही समझती है। 

यूएफओ की साइट रेटिंग्स बताती हैं कि उसे 26 बार परमाणु प‌रीक्षण क्षेत्र में देखा गया है तो केवल 13 बार ऐसे क्षेत्रों में जहां ऐसे परीक्षण नहीं होते।

अब इतना कुछ बताने और चर्चा करने के बाद, अगर हम यूएफओ और एलियनों से जुड़ी फिल्मों के बारे में बात ना करें, तो कुछ अधूरा छूट जाएगा। एलियन हमेशा से ऐसे चर्चे और उत्सुकता का विषय रहें हैं कि कई एलियन वाली फिल्मों को लोगों ने खासा पसंद किया है।

हॉलीवुड एक्टर विल स्मिथ की फिल्म इंडिपेनडेंस डे स्पेशल नोमेड्स आपको जरूर याद होगी। इस फिल्म में एलियनों को ऐसे जीव के में दिखाया गया है जो धरती को बर्बाद कर देना चाहता है। इसके अलीवा वॉर ऑफ द वर्ल्ड, स्टारमेन, एलियन और स्टीवन स्पिलबर्ग की ईटी खास हैं।

हमारे देश में एलियनों को लेकर सबसे पहली फिल्म बनी थी साल 2003 में आई 'कोई मिल गया'। रितिक रोशन की इस फिल्म ने लोगों का दिल जीत लिया।

हमें नहीं पता कि एलियन हैं या नहीं, अगर हैं तो वो केवल मशीनी हैं या फिर उनमें भावनाएं भी हैं या फिर वो कैसे दिखते हैं। हमारी कल्पना में अक्सर वे लगभग इंसानों की तरह ही होते हैं सिवाय इसके कि कभी उनकी आंख अजीब होती है तो कभी उनके मुंह पर सर्पों जैसी कुछ संरचनाएं होती हैं और कभी कभी वो इंसान और सांप जैसे प्राणियों का मिश्रण होता है।

वह कभी अदृश्य होना जानता है तो कभी अथाह शक्ति का मालिक होता है। आज भी कई लोग ये दावा करते हैं कि उन्होंने दूसरे ग्रहों के प्राणियों को देखा है। वक्त-वक्त पर ऐसे लोगों की भी खबरें आती रहती हैं कि उन लोगों ने आसमान में अज्ञात उड़न तश्तरी यानी यूएफओ को उड़ते देखा। 

लोगों के ऐसे भी दावें हैं‌ कि उन्होंने उड़न तश्तरियां देखी हैं और यहां तक कि एलियन के साथ यौन संबंध भी बनाए हैं। लेकिन अब तक इस बात का कोई पुख्ता वैज्ञानिक सबूत नहीं है कि किसी दूसरे ग्रह में जीवन है या इस ब्रह्मांड में पृथ्वी के अलावा कहीं कोई जीवन है।

यह सब साबित होते तक तो एलियन और यूएफओ सिर्फ किस्से हैं।