My Blog List

Saturday 12 September 2015

THE LAW OF ATTRACTION आकर्षण का सिद्धांत

The Law of Attraction या  आकर्षण  का  सिद्धांत  यह  कहता  है  कि  आप  अपने  जीवन  में  उस  चीज  को  आकर्षित  करते  हैं  जिसके  बारे  में  आप  सोचते  हैं . आपकी  प्रबल सोच हकीक़त  बनने  का  कोई  ना  कोई  रास्ता  निकाल लेती है . लेकिन  Law of Attraction कुछ  ऐसे  प्रश्नों  को  जन्म  देता  है  जिसके  उत्तर  आसान  नहीं  हैं .पर  मेरा  मानना  है  कि  problem Law of Attraction कि  वजह  से  नहीं  है   बल्कि  इससे  है  कि  Law of Attraction को  objective reality (वस्तुनिष्ठ वास्तविकता ) में  कैसे  apply करते  हैं .
यहाँ  ऐसे  ही  कुछ  problematic questions दिए  गए  हैं  ( ये  उन  questions का  generalization हैं  जो  मुझे  email द्वारा  मिले  हैं )
  •  क्या  होता है  जब  लोगों  की  intention (इरादा,सोच,विचार,उद्देश्य)  conflict करती  है ,जैसे  कि  दो  लोग  एक  ही  promotion के  बारे  में  सोचते  हैं , जबकि एक  ही  जगह  खाली   है ?
  • क्या  छोटे  बच्चों , या  जानवरों  की  भी  intentions काम  करती  है ?
  • अगर  किसी  बच्चे  के  साथ  दुष्कर्म  होता  है  तो  क्या  इसका  मतलब  है  कि  उसने  ऐसा  इरादा  किया  था ?
  • अगर  मैं  अपनी  relation अच्छा  करना  चाहता  हूँ  लेकिन  मेरा / मेरी  spouse इसपर  ध्यान  नहीं  देती , तो  क्या  होगा ?
ये  प्रश्न  Law of Attraction की  possibility को  कमज़ोर  बनाते  हैं .कभी कभार  Law of Attraction में  विश्वास  करने  वाले  लोग  इसे  justify करने  के  लिए  कुछ  ज्यादा  ही  आगे  बढ़  जाते  हैं . For Exapmle, वो  कहते  हैं  कि  बच्चे  के  साथ  दुष्कर्म  इसलिए  हुआ  क्योंकि  उसने  इसके  बारे  में  अपने  पिछले  जनम  में  सोचा  था . भाई , ऐसे  तो  हम किसी  भी  चीज  को  explain कर  सकते  हैं , पर मेरी  नज़र  में  तो  ये  तो  जान  छुड़ाने  वाली  बात  हुई .
मैं  औरों  द्वारा  दिए  गए  इन  प्रश्नों  के  उत्तर  से   कभी  भी  satisfy नहीं  हुआ , और  यदि  Law of Attraction में  विश्वास  करना  है  तो  इनके  उत्तर  जानना  महत्त्वपूर्ण  है .कुछ  books इनका  उत्तर  देने  का  प्रयास  ज़रूर  करती  हैं  पर  संतोषजनक  जवाब  नहीं  दे  पातीं . पर  subjective reality (व्यक्ति निष्ठ वास्तविकता )के  concept में  इसका  सही  उत्तर  ढूँढा जा  सकता  है .
Subjective Reality एक  belief system (विश्वास प्रणाली) है  जिसमे
 (1)   सिर्फ  एक consciousness (चेतना) है ,
 (2)   आप  ही  वो  consciousness हैं ,
 (3)   हर  एक  चीज , हर  एक  व्यक्तिजो  वास्तविकता  में  है वो आप  ही  की  सोच  का  परिणाम  है .
शायद  आप  को  आसानी से दिखाई  ना  दे  पर  subjective reality Law of Attraction के  सभी  tricky questions का  बड़ी  सफाई  से  answer देती  है .  मैं  explain करता  हूँ ….
Subjective reality में  केवल  एक  consciousness होती   है आपकी  consciousness. इसलिए पूरे ब्रह्माण्ड में intentions का एक ही श्रोत होता है -आप . आप भले ही वास्तविकता में तमाम लोगों को आते-जाते, बात करते देखें , वो सभी आपकी consciousness के भीतर exist करते हैं. आप जानते हैं कि आपके सपने इसी तरह काम करते हैं,पर आप ये नहीं realize करते की आपकी waking reality एक तरह का सपना ही है. वो सिर्फ इसलिए सच लगता है क्योंकि आप विश्वास करते हैं कि वो सच है.
चूँकि और कोई भी जिससे आप मिलते हैं वो आपके सपने का हिस्सा हैं, आपके अलावा किसी और की कोई intention नहीं हो सकती.सिर्फ आप ही की intentions हैं. पूरे Universe में आप अकेले सोचने वाले व्यक्ति हैं.
यह ज़रूरी है कि subjective reality में आपको अच्छे से define किया जाये . आपआपका शरीर नहीं है. आपआपका अहम नहीं है. मैं यह नहीं कह रहा हूँ की आप एक conscious body हैं जो unconscious मशीनों के बीच घूम रहे हैं. यह तो subjective reality की समझ के बिलकुल उलट है. सही viewpoint यह है कि आप एक अकेली consciousness हैं जिसमे सारी वास्तविकता घट रही है.
Imagine करिए की आप कोई सपना देख रहे हैं. उस सपने में आप वास्तव में क्या हैं क्या आप वही हैं जो आप खुद को सपने में देख रहे हैं? नहीं, बिलकुल नहीं , वो तो आपके सपने का अवतार है. आप तो सपना देखने वाला व्यक्ति हैं.पूरा सपना आपकी consciousness में होता है. सपने के सारे किरदार आपकी सोच का परिणाम हैं, including  आपका खुद का अवतार.  दरअसल , यदि आप lucid dreaming सीख लें तो आप आपने सपने में ही अपने अवतार बदल सकते हैं. Lucid dreaming में आप वो हर एक चीज कर सकते हैं जिसको कर सकने में  आपका यकीन हैं.
Physical reality इसी तरह से काम करती है. यह ब्रह्माण्ड आप के सपने के  ब्रह्माण्ड की तुलना में  कहीं घना है, इसलिए यहाँ बदलाव धीरे-धीरे होता है. पर यह reality भी आपके विचारों के अनुरूप होती है, ठीक वैसे ही जैसे आपके सपने आपके सोच के अनुरूप होते है. आपवो dreamer हैं जिसके सपने में यह सब घटित हो रहा है. कहने का मतलब; यह एक भ्रम है कि और लोगों कि intentions है, वो तो बस आपकी सोच का परिणाम हैं.
Of course, यदि आप बहुत strongly believe करते हैं कि औरों की intentions हैं, तो आप अपने लिए ऐसा ही सपना बुनेंगे.पर ultimately वो एक भ्रम है.
तो आइये देखते हैं कि Subjective Reality  कैसे Law of Attraction के कठिन प्रश्नों का उत्तर देती है:
क्या  होता है  जब  लोगों  की  intention (इरादा,सोच,विचार,उद्देश्य)  conflict करती  है ,जैसे  कि  दो  लोग  एक  ही  promotion के  बारे  में  सोचते  हैं , जबकि एक  ही  जगह  खाली   है ?
चूँकि आप अकेले  ही ऐसे  व्यक्ति हैं जिसकी intentions हैं, ये  महज   एक  internal conflict है आपके  भीतर  का . आप  खुद  उस  thought(intention) को  जन्म  दे  रहे  हैं  कि  दोनों  व्यक्ति  एक  ही  position चाहते  हैं . लेकिन  आप  ये  भी  सोच  रहे  हैं  (intending) कि एक ही व्यक्ति को यह position मिल  सकती  है. .यानि  आप competition intend कर रहे हैं. यह पूरी  situation आप ही की creation है. आप competition में believe करते हैं, इसलिए आपके जीवन  में वही घटता  है. शायद आपकी  पहले  se ही  कुछ  belief है (thoughts and intentions)  कि  किसको  promotion मिलेगी , ऐसे  में  आपकी  उम्मीद  हकीकत  बनेगी. पर  शायद  आप  की  ये  belief हो  कि  life unfair है  uncertain है , तो  ऐसे  में  आपको  कोई  surprise मिल  सकता  है  क्योंकि  आप  वही  intend कर  रहे  हैं .
अपने यथार्थ  में  एक  अकेला  Intender होना   आपके  कंधे  पर  एक  भारी  जिम्मेदारी  डालता  है . आप  ये  सोच  कर  की  दुनिया  अनिश्चित  है  unfair है आदि  , अपनी  reality का control  छोड़  सकते  हैं , पर  आप  अपनी  जिम्मेदारी  नहीं  छोड़  सकते  हैं . आप  इस  Universe के एक  मात्र रचियता हैं . यदि  आप  युद्ध , गरीबी , बिमारी , इत्यादि  के  बारे  में  सोचेंगे  तो  आपको  यही  देखने  को  मिलेगा . यदि  आप  शांती , प्रेम , ख़ुशी  के  बारे  में  सोचेंगे  तो  आपको  ये  सब  हकीकत में होते हुए दिखेगा . आप  जब  भी  किसी  चीज  के  बारे  में  सोचते  हैं  तो , तो  दरअसल  उस सोच को  वास्तविकता में प्रकट होने का आह्वान करते हैं.
क्या  छोटे  बच्चों , या  जानवरों  की  भी  intentions काम  करती  है ?
नहीं , यहाँ  तक  की  आपके  शरीर  की  भी  कोई  intention नहीं  होती  है सिर्फ  आपके  consciousness की  intentions होती  हैं . आप  अकेले  हैं  जिसकी  intentions हैं , इसलिए  वो  होता  है  जो  आप  बच्चे  या  जानवरों  के  लिए  सोचते  हैं . हर  एक  सोच  एक  intention है , तो  आप  जैसे  भी  उनके बारे  में  सोचेंगे  यथार्थ  में  उनके  साथ वैसा  ही  होगा . ये  धयन  में  रखिये  की  beliefs hierarchical (अधिक्रमिक) हैं , इसलिए यदि  आपकी  ये  belief की  वास्तविकता  अनिश्चित  है , uncontrollable है  ज्यादा  शशक्त है  तो  ये  आपकी  अन्य  beliefs, जिसमे  आपको  कम  यकीन  है , को  दबा देंगी . आपके  सभी  विचारों  का  संग्रह   ये  तय  करता  है  की  आपको  हकीकत  में  क्या  दिखाई  देगा .
अगर  किसी  बच्चे  के  साथ  दुष्कर्म  होता  है  तो  क्या  इसका  मतलब  है  कि  उसने  ऐसा  इरादा  किया  था ?
नहीं . इसका  मतलब  है  की  आपने  ऐसा  intend किया  था . आप  child abuse के  बारे  में  सोच  कर  उससे  वास्तविकता में  होने के  लिए  intend करते  हैं .आप  जितना  ही  child abuse के  बारे  में  सोचेंगे ( या  किसी  और  चीज  के  बारे  में ) उतना  ही  हकीकत  में  आप  उसका  विस्तार  देखेंगे . आप  जिस  बारे  में  भी  सोचते  हैं  उसका  विस्तार  होता  है , और  वो बस  आप तक  ही  सीमित  नहीं  होता  बल्की  पूरे  ब्रह्माण्ड  में  ऐसा  होता  है .
अगर  मैं  अपनी  relation अच्छा  करना  चाहता  हूँ  लेकिन  मेरा / मेरी  spouse इसपर  ध्यान  नहीं  देती , तो  क्या  होगा ?
यह  intending conflict का  एक  और  उदाहरण  है . आप  एक  intention अपने  अवतार  की  कर  रहे  हैं  और  एक  अपने  spouse की  , तो  जो actual intention पैदा  होती  है  वो  conflict की  होती  है . इसलिए  आप  जो  experience करते  हैं , depending on your higher order beliefs, वो  आपके  spouse के  साथ  आपका  conflict होता  है . अगर  आपकी  thoughts conflicted हैं  तो  आपकी  reality भी  conflicted होगी .
इसीलिए  अपने  विचारों  की  जिम्मेदारी  लेना  इतना  महत्त्वपूर्ण  है . यदि  आप  दुनिया  में  शांती  देखना  चाहते  हैं  तो  अपनी  reality में  हर एक  चीज  के  लिए  शांती  intend कीजिये . यदि  आप  loving relationship enjoy करना  चाहते  हैं  तो  सभी  के  लिए  loving relationships intend कीजिये . यदि  आप  ऐसा  सिर्फ  अपने  लिए  ही  intend  करते  हैं  और  दूसरों  के  लिए  नहीं  तो  इसका  मतलब  है  की  आप  conflict, division, separation  intend कर  रहे  हैं , और  as a result आप  यही  experience करेंगे .
अगर  आप  किसी  चीज  के  बारे  में  बिलकुल  ही  सोचना  छोड़  देंगे  तो  क्या  वो  गायब  हो  जाएगी ? हाँ , technically वो  गायब  हो  जाएगी . लेकिन  practically  आप  जिस  चीज  को  create कर  चुके  हैं  उसे  uncreate करना लगभग असंभव  है . आप  उन्ही  समस्यों  पर  focus कर  के  उन्हें  बढाते  जायेंगे . पर  जब  आप   अभी   जो  कुछ  भी  वास्तविकता  में  अनुभव  कर  रहे  हैं  उसके  लिए  खुद  को  100 % responsible मानेंगे  तो  आप  में  वो  शक्ति    जाएगी  जिससे  आप  अपने  विचारों  को  बदलकर  अपनी  वास्तविकता  को  बदल  सकते  हैं .
ये  सारी  वास्तविकता  आप  ही  की  बनाई  हुई  है . उसके  बारे  में  अच्छा  feel करिए .  विश्व  की  richness के  लिए  grateful रहिये .  और  फिर  अपने  decisions और  intentions से  उस  reality का  निर्माण  करना  शुरू  कीजिये  जो  आप  सच -मुच  चाहते  हैं .उस  बारे  में  सोचिये  जिसकी आप  इच्छा  रखते  हैं  , और  जो  आप  नहीं  चाहते  हैं उससे  अपना  ध्यान  हटाइए .  ये  करने  का  सबसे  आसान  और  natural तरीका  है  अपने  emotions पर  ध्यान  देना . अपनी  इच्छाओं  के  बारे  में  सोचना  आपको  खुश  करता  है  और  जो आप  नहीं  चाहते  हैं  उस  बारे  में  सोचना  आपको  बुरा  feel कराता  है . जब  आप  notice करें  की  आप  बुरा  feel कर  रहे  हैं  तो  समझ  जाइये  की  आप  किसी  ऐसी  चीज  के  बारे  में  सोच  रहे  हैं  जो  आप  नहीं  चाहते  हैं . वापस  अपना  focus उस  तरफ  ले  जाइये  जो  आप  चाहते  हैं , आपकी  emotional state बड़ी  तेजी  से  improve होगी . जब  आप  बार  बार  ऐसा  करने  लगेंगे  तब  आपको  अपनी  physical reality में  भी  बदलाव  आना  नज़र  आएगा , पहले  धीरे -धीरे  और  बाद  में  बड़ी  तेजी  से .
मैं  भी  आपकी  consciousness का  ही  परिणाम  हूँ . मैं  वैसे  ही  करता  हूँ  जैसा  की  आप  मुझसे  expect करते  हैं . यदि  आप  मुझे  एक  helpful guide के  रूप  में  expect करते  हैं , तो  मैं  वैसा  ही  बन  जाऊंगा . यदि  आप  मुझे  गहन और व्यवहारिक होना expect करते  हैं  तो  मैं  वैसा  बन  जाऊंगा . यदि  आप  मुझे  confused और  बहका हुआ  expect करते  हैं  तो  मैं  वैसा  बन  जाऊंगा . पर  मैं  ऐसा  कोई  “मैं नहीं  हूँ  जो  आपसे  अलग  है . मैं  बस  आपकी  creations में  से  एक  हूँ . मैं  वो  हूँ  जो  आप  मेरे  लिए  intend करते  हैं . और  कहीं  ना  कहीं  आप  पहले  से  ये  जानते  हैं , क्यों  है  ना ?
————————————————————————————
                                                                 by-Birendra Gupta

कैसे रखता हूँ मैं खुद को Positive ?

हाय, दोस्तों मै बीरेंद्र गुप्ता आज मैं आपके साथ एक बड़ी ही interesting और important बात share कर रहा हूँ. एक ऐसी छोटी सी  बात जिसने मेरे thought process को improve करने और positive बनाने में बहुत मदद की है.
मुझे पूरी उम्मीद है कि ये आपके लिए भी उतना ही लाभदायक होगा.  ऐसा मैं इसलिए भी कह पा रहा हूँ कि क्योंकि इसे समझना  बहुत ही simple है. और इसे practically APPLY  करना भी आसान है.
बात दिसम्बर 2013 की है तब मई अपने दोस्त विनोद के साथ delhi गया हुआ था ,. चूँकि मुझे नयी-नयी books पढने का शौक है , मैं एक दूकान में ऐसी ही कोई book खोज रहा था, तभी David J. Schwartz की लिखी हुई किताब ,” The Magic of Thinking Big”  मुझे नज़र आई.  दो -चार पन्ने पलटने के बाद मैं समझ गया कि इसमें दम है और मैंने वो book खरीद ली.

वैसे तो इसमें मैंने कई लाभप्रद बातें पढ़ीं पर एक बात मेरे दिमाग में  घर कर गयी और आज मैं उसी के बारे में बता रहा हूँ.
हमारा दिमाग विचारों  का निर्माण  करने वाली  एक फैक्ट्री  है . इसमें हर  वक़्त  कोई ना  कोई thought  बनती  रहती  है. और इस  काम  को कराने  के लिए  हमारे  पास   दो  बड़े  ही आज्ञाकारी  सेवक  हैं और साथ ही ये अपने काम  में  माहिर  भी हैं . आप  कभी  भी इनकी  परीक्षा  ले  लीजिये  ये उसमे  सफल  ही होंगे . आइये  इनका  परिचय  कराता  हूँ-
पहले  सेवक  का  नाम  है-  Mr. Triumph  या  मिस्टर विजय
दुसरे  सेवक  का  नाम  है- Mr. Defeat या  मिस्टर  पराजय
Mr . विजय  का काम  है आपके आदेशानुसार  positive thoughts का निर्माण करना. और Mr. पराजय  का काम  है आपके आदेशानुसार  negative thoughts का निर्माण करना. और ये सेवक इतने निपुण हैं कि ये आपके इशारे के तुरंत समझ जाते हैं और बिना वक़्त गवाएं अपना काम शुरू कर देते हैं.
Mr. विजय इस बात को बताने में  में specialize करते हैं कि आप चीजों को क्यों कर सकते हैं?, आप क्यों सफल हो सकते हैं?
Mr. पराजय इस बात को बताने में specialize करते हैं कि आप चीजों  को क्यों नहीं कर सकते हैं?,आप  क्यों असफल हो सकते हैं?
जब  आप   सोचते  हैं  कि मेरी life क्यों अच्छी है तो तुरंत  Mr. विजय  इस  बात को सही  साबित  करने के लिए आपके दिमाग   में  positive thouhts produce करने लगते  है, जो आपके अब तक के जीवन के अनुभवों से निकल कर आती है . जैसे  कि-
  • मेरे पास  इतना  अच्छा  परिवार  है.
  • मुझे चाहने  वाले  कितने  सारे  अच्छे  लोग  हैं .
  • मैं well settled हूँ, FINANCIALLY  इतना  सक्षम  हूँ कि खुश  रह  सकूँ .
  • मैं जो करना चाहता  हूँ वो कर पा रहा हूँ.
  •  etc.
इसके  विपरीत  जब  आप सोचते  हैं  कि मेरी life क्यों अच्छी नहीं  है  ,तो तुरंत  Mr. पराजय   इस  बात को सही  साबित   करने के लिए आपके दिमाग में  negative thoughts produce करने लगते  है. जैसे  कि-
  •  मैं अपनी  life में अभी  तक  कुछ  खास  नहीं  achieve कर पाया
  • मेरी नौकरी  मेरी काबलियत  के मुताबिक़  नहीं  है
  • मेरे साथ हमेशा  बुरा  ही होता  है.
  • etc.
ये दोनों  सेवक  जी जान   से  आपकी  बात का समर्थन  करते  हैं . अब  ये आपके ऊपर  depend करता  है कि आप  इसमें से  किसकी services  लेना  चाहते  हैं . इतना याद रखिये कि इनमे से आप जिसको ज्यादा काम देंगे वो उतना ही मजबूत होता जायेगा और एक दिन वो इस फैक्ट्री पर अपना कब्ज़ा कर लेगा, और धीरे-धीरे दुसरे सेवक को बिलकुल निकम्मा कर देगा.अब आप को decide करना है कि आप किसका कब्ज़ा चाहते हैं- मिस्टर विजय का या मिस्टर पराजय का?
यदि  life को improve करना है तो जितना  अधिक  हो  सके  thoughts produce करने का काम  Mr. विजय  को ही दीजिये . यानि  positive self talk कीजिये . नहीं तो अपने आप ही Mr. पराजय अपना अधिकार जमा लेंगे.
मैंने कई बार is simple but effective technique का use किया  है. मैं अपने thoughts पर हमेशा  नज़र रखता  हूँ और जैसे  ही negative thoughts का production बढ़ने  लगता  है मैं तुरंत  Mr. विजय  को काम  पर लगा  देता  हूँ, यानि  मैं  कुछ  ऐसे  statements खुद  से  बोलता  हूँ जो  positive thoughts की chain बना  देते  हैं  और मैं वापस  track पर आ जाता  हूँ.
For example: जब  मुझे लगता है कि मेरी personal relationships में तनाव आ रहा है तो मैं खुद से कहता हूँ कि भगवान ने  मुझे कितना प्यार करने वाले लोग दिए हैं. और बस आगे का काम मिस्टर विजय कर देते हैं. वो personal relationships से related मेरे सुखद अनुभव को मेरे सामने गिनाने लगते हैं और कुछ ही देर में मेरा mood बिलकुल सही हो जाता है. और जब mood सही हो जाता है तो वो मेरे actions में भी reflect करने लगता है.फिर तो सामने वाला भी ज्यादा देर तक नाराज़ नहीं रह पाता और जल्द ही सारी खटास निकल जाती है और फिर सब अच्छा लगने लगता है.
Thoughts को positive रखने का ये एक बहुत ही practical तरीका है. बस आपको जब भी लगे कि आपके ऊपर negativity हावी हो रही है तो तुरंत उस विचार के विपरीत विचार मन में लाइए. जैसे कि यदि आपके मन में विचार आता है कि आप काबिल नहीं हैं तो तुरन्त इसका उल्टा प्रश्न Mr. विजय से कीजिये कि ,” Mr. Vijay बताइए मैं काबिल क्यों हूँ?” और आप पायेंगे कि आपका ये सेवक आपके सामने उन अनुभवों को रखेगा जिसमे आपने कुछ अच्छा किया हो, for example, आपने कभी कोई prize जीता हो, किसी की मदद की हो, कोई ऐसी कला जिसमे आप औरों से बेहतर हों,etc.
बस इस बात का ध्यान रखियेगा कि आप स्वयं से जो प्रश्न कर रहे हैं वो सकारात्मक हो नकारात्मक नहीं.
आप भी इसे try कर  के देखिये. अपने thoughts पर नज़र रखिये , और जब आपको लगे कि मिस्टर पराजय कुछ ज्यादा ही सक्रीय हो रहे हैं तो जल्दी से कुछ positive self talk कीजिये और मिस्टर विजय को काम पर लगा दीजिये.
दोस्तों मुझे विस्वास है की आपको मेरी यह पोस्ट अछि लगी होगी और मई आगे भी इस तरह की पोस्ट भेजता रहूंगा.
                                                                                 लेखक - बीरेंद्र गुप्ता
Thanks . I hope it works for you. 

 —————————————————————–

Tuesday 25 August 2015

love is life .




चारों तरफ अजीब आलम हादसों में पल रही है जिंदगी,
फूलों  के  शक्ल में अंगारों  पर चल  रही है  जिंदगी.

आदमी  खूंखार  वहसी  हो  गए हैं इस जमाने में,
दूध साँपों को पिलाकर खुद तड़प रही है जिंदगी.

हमारी कौम ने जो बाग सींचे थे अपना लहू देकर,
उन्हीं बाग के कलियों का मसलना देख रही है जिंदगी.

उजड रहे हैं रोज गुलशन अब कोई नजारा न रहा,
तलवारों खंजरों रूपी दरिंदों से लुट रही है जिंदगी.

अब  तो यातनाओं  के अंधेरों में ही होता है सफर,
लुट रही बहन-बेटियाँ असहाय बन गयी है जिंदगी.

हर पल सहमी-सहमी है घर की आबरू बहन-बेटियाँ,
हर तरफ  हैवानियत का आलम नीलम ही रही है जिंदगी.

चुभती है यह बीरेंद्र को कविता ग़ज़ल सुनाने का न रहा अब हौसला,

 अब तो इस जंगल राज में कत्लगाह बन गयी है जिन्दगी