हाय, दोस्तों मै बीरेंद्र गुप्ता आज मैं आपके साथ एक बड़ी ही interesting और important बात share कर रहा हूँ. एक ऐसी
छोटी सी बात जिसने मेरे thought process को improve करने और positive बनाने में बहुत मदद की
है.
मुझे पूरी उम्मीद है कि ये आपके लिए भी उतना ही लाभदायक होगा. ऐसा मैं इसलिए भी कह पा रहा हूँ कि क्योंकि इसे समझना बहुत ही simple है. और इसे practically APPLY
करना भी आसान है.
बात दिसम्बर 2013 की है तब मई अपने दोस्त
विनोद के साथ delhi गया हुआ था ,. चूँकि मुझे नयी-नयी books पढने का शौक है , मैं एक दूकान में ऐसी
ही कोई book खोज रहा था, तभी David J. Schwartz की लिखी हुई किताब ,”
The Magic of Thinking Big” मुझे नज़र आई. दो -चार पन्ने पलटने के
बाद मैं समझ गया कि इसमें दम है और मैंने वो book
खरीद
ली.
वैसे तो इसमें मैंने कई लाभप्रद बातें पढ़ीं पर एक बात मेरे दिमाग में घर कर गयी और आज मैं उसी के बारे में बता रहा हूँ.
हमारा दिमाग विचारों का निर्माण करने वाली एक फैक्ट्री है . इसमें हर वक़्त कोई ना कोई thought बनती रहती है. और इस काम को कराने के लिए हमारे पास दो बड़े ही आज्ञाकारी सेवक हैं और साथ ही ये अपने काम
में माहिर भी हैं . आप कभी भी इनकी परीक्षा ले लीजिये ये उसमे सफल ही होंगे . आइये इनका परिचय कराता हूँ-
पहले सेवक का नाम है- Mr. Triumph या मिस्टर विजय
दुसरे सेवक का नाम है- Mr. Defeat या मिस्टर पराजय
Mr . विजय का काम है आपके आदेशानुसार positive thoughts का निर्माण करना. और Mr.
पराजय का काम है आपके आदेशानुसार negative thoughts का निर्माण करना. और ये सेवक इतने निपुण हैं कि ये आपके
इशारे के तुरंत समझ जाते हैं और बिना वक़्त गवाएं अपना काम शुरू कर देते हैं.
Mr. विजय इस बात को बताने
में में specialize करते हैं कि आप चीजों
को क्यों कर सकते हैं?, आप क्यों सफल हो सकते
हैं?
Mr. पराजय इस बात को बताने
में specialize करते हैं कि आप चीजों
को
क्यों नहीं कर सकते हैं?,आप क्यों असफल हो सकते हैं?
जब आप सोचते हैं
कि मेरी life
क्यों अच्छी है तो तुरंत Mr. विजय इस बात को सही साबित करने के लिए आपके दिमाग में positive thouhts produce करने लगते है, जो आपके अब तक के जीवन
के अनुभवों से निकल कर आती है . जैसे कि-
- मेरे पास इतना अच्छा परिवार है.
- मुझे चाहने वाले कितने सारे अच्छे लोग हैं .
- मैं well settled
हूँ, FINANCIALLY
- मैं जो करना चाहता हूँ वो कर
पा रहा हूँ.
- etc.
इसके विपरीत जब आप सोचते हैं कि मेरी life
क्यों अच्छी नहीं है ,तो
तुरंत Mr. पराजय इस बात को सही साबित करने के लिए आपके दिमाग में
negative thoughts produce करने लगते है. जैसे कि-
- मैं अपनी life में अभी तक कुछ खास नहीं
achieve कर पाया
- मेरी नौकरी मेरी
काबलियत
के मुताबिक़ नहीं है
- मेरे साथ हमेशा बुरा ही होता है.
- etc.
ये दोनों सेवक जी जान से आपकी बात का समर्थन करते हैं . अब ये आपके ऊपर depend करता है कि आप इसमें से किसकी services लेना चाहते हैं . इतना याद रखिये कि
इनमे से आप जिसको ज्यादा काम देंगे वो उतना ही मजबूत होता जायेगा और एक दिन वो इस
फैक्ट्री पर अपना कब्ज़ा कर लेगा, और धीरे-धीरे दुसरे
सेवक को बिलकुल निकम्मा कर देगा.अब आप को decide
करना
है कि आप किसका कब्ज़ा चाहते हैं- मिस्टर विजय का या मिस्टर पराजय का?
यदि life को improve करना है तो जितना अधिक हो सके thoughts produce करने का काम Mr. विजय को ही दीजिये . यानि positive self
talk कीजिये
. नहीं तो अपने आप ही Mr. पराजय अपना अधिकार जमा
लेंगे.
मैंने कई बार is simple but
effective technique का use किया है. मैं अपने thoughts पर हमेशा नज़र रखता हूँ और जैसे ही negative thoughts का production बढ़ने लगता है मैं तुरंत Mr. विजय को काम पर लगा देता हूँ, यानि मैं कुछ ऐसे statements खुद से बोलता हूँ जो positive thoughts की chain बना देते हैं और मैं वापस track पर आ जाता हूँ.
For example: जब मुझे लगता है कि मेरी personal
relationships में
तनाव आ रहा है तो मैं खुद से कहता हूँ कि भगवान ने मुझे कितना प्यार करने
वाले लोग दिए हैं. और बस आगे का काम मिस्टर विजय कर देते हैं. वो personal relationships से related मेरे सुखद अनुभव को
मेरे सामने गिनाने लगते हैं और कुछ ही देर में मेरा mood
बिलकुल
सही हो जाता है. और जब mood सही हो जाता है तो वो
मेरे actions में भी reflect करने लगता है.फिर तो
सामने वाला भी ज्यादा देर तक नाराज़ नहीं रह पाता और जल्द ही सारी खटास निकल जाती
है और फिर सब अच्छा लगने लगता है.
Thoughts
को
positive रखने का ये एक बहुत ही practical
तरीका
है. बस आपको जब भी लगे कि आपके ऊपर negativity हावी हो रही है तो
तुरंत उस विचार के विपरीत विचार मन में लाइए. जैसे कि यदि आपके मन में विचार आता
है कि आप काबिल नहीं हैं तो तुरन्त इसका उल्टा प्रश्न Mr.
विजय
से कीजिये कि ,” Mr. Vijay बताइए मैं काबिल क्यों हूँ?” और आप पायेंगे कि आपका
ये सेवक आपके सामने उन अनुभवों को रखेगा जिसमे आपने कुछ अच्छा किया हो, for example, आपने कभी कोई prize जीता हो, किसी
की मदद की हो, कोई
ऐसी कला जिसमे आप औरों से बेहतर हों,etc.
बस इस बात का ध्यान
रखियेगा कि आप स्वयं से जो प्रश्न कर रहे हैं वो सकारात्मक हो नकारात्मक नहीं.
आप भी इसे try कर के देखिये. अपने thoughts पर नज़र रखिये , और
जब आपको लगे कि मिस्टर पराजय कुछ ज्यादा ही सक्रीय हो रहे हैं तो जल्दी से कुछ positive self talk कीजिये और मिस्टर विजय को काम पर लगा दीजिये.
दोस्तों मुझे विस्वास है की आपको मेरी यह पोस्ट अछि लगी होगी ,
और
मई आगे भी इस तरह की पोस्ट भेजता रहूंगा.
लेखक - बीरेंद्र गुप्ता
Thanks . I hope it works for you.
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