आज
मैं आपको एक ऐसा सच
बताने जा रहा हूँ,
जिसको शायद बहोत ही कम लोग
जानते होंगे आज हम आपके
सामने भारतीय सेना का विश्लेषण करेंगे
, कई बार आपके मन में ये
सवाल उठता होगा कि भारतीय
सेना में पंजाब रेजिमेंट, मद्रास रेजिमेंट, मराठा रेजिमेंट, राजपूत रेजिमेंट, जट रेजिमेंट, सिख
रेजिमेंट, असाम रेजिमेंट, नागा रेजिमेंट इत्यादि तो मौजूद हैं
मगर मुस्लिम रेजिमेंट नहीं है?आजादी के
बाद से लेकर आज
तक कोई भी ऐसी रेजिमेंट
ही नहीं बनी? जिससे मुस्लिम समुदाय की पहचान अथवा
नेतृतव दिखाई देता हो? ऐसा क्यूँ है? क्या भारतीय मुस्लिम देश के प्रति अपनी
जान देने का जज्बा नहीं
रखते? या वह भरोसे
के लायक ही नहीं हैं?
आज हम बताएँगे क्यूँ
नहीं है “मुस्लिम रेजिमेंट” और क्या किया
था ऐसा इस रेजिमेंट ने
.
तो
ऐसा नहीं है मित्रों, मुस्लिम
रेजिमेंट आज नहीं है
अलग बात है मगर सन
65 तक होता था, मगर जब सन 65 में
भारत- पाकिस्तान की पहली जंग
हुई थी तो इस
रेजिमेंट ने पाकिस्तान के
खिलाफ जंग लड़ने से साफ़ इंकार
कर दिया, (बताने की जरुरत नहीं
है क्यों?) लगभग बीस हज़ार मुस्लिम सेना ने पाकिस्तान के
सामने अपने हथियार डाल दिए थे जिस वजह
से उस वक्त भारत
को काफि मुश्किलों सामना करना पड़ा था, क्यूंकि मुस्लिम राईफल्स और मुस्लिम रेजिमेंट
के ऊपर बहुत ज्यादा यकीन कर के इनको
भेजा गया था. इस वजह से
इनकी पूरी की पूरी रेजिमेंट
पर ही बैन लगा
दिया गया,और पूरे रेजिमेंट
को ही खत्म कर
दिया गया, क्योंकि भारत की असली जंग
तो हमेशा ही पाकिस्तान के
साथ होती है, और फिर यदि
जंग के अहम मौके
पर आकर कोई रेजिमेंट जंग लड़ने से मना कर
देगी फिर पाकिस्तान से जंग कैसे
जीती जाएगी ?
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अगर आपको इस बात पर विश्वास ना हुआ हो तो यदि आपके घर में कोई बड़े- बुजुर्ग हों जो 65 के आस- पास सेना में रहें हों या सन 65 की जंग में भाग लिया हो, तो आप उनसे पूछ सकते हैं .. यकीन मानिए ये जानकार हमें भी बहुत बड़ा धक्का लगा था, कि ऐसे भी हमारी कोई रेजिमेंट कर सकती है क्या ? पर वो किसी ने कहा है ना कि “दुनिया में नामुकिन जैसी कोई चीज़ नहीं है”|
अगर आपको इस बात पर विश्वास ना हुआ हो तो यदि आपके घर में कोई बड़े- बुजुर्ग हों जो 65 के आस- पास सेना में रहें हों या सन 65 की जंग में भाग लिया हो, तो आप उनसे पूछ सकते हैं .. यकीन मानिए ये जानकार हमें भी बहुत बड़ा धक्का लगा था, कि ऐसे भी हमारी कोई रेजिमेंट कर सकती है क्या ? पर वो किसी ने कहा है ना कि “दुनिया में नामुकिन जैसी कोई चीज़ नहीं है”|
इसे भी पढ़े- कश्मीर पर ये प्लान था इस महान नेता का
इस्लाम के नाम फैल रहे आतंक को रोकने के लिए अब कई देश प्रतिबद्ध होते जा रहे हैं. हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सात मुस्लिम देशों के मुस्लिम लोगों पर अमेरिका में आने को लेकर बैन लगाया ही था की एक और बड़े देश ने मस्जिद बंद और कुरान पर रोक लगाने का ऐलान कर डाला है.इतना ही नहीं इस देश ने इस्लामिक देशों से आ रहे शरणार्थियों पर भी बिलकुल रोक लगाने के बाद अपने देश में इस्लामिक प्रचार केन्द्रों और साथ ही साथ बुर्के पर भी सख्ती से बैन लगाने की बात कही. जाने कौनसा है देश जहाँ होगा यह सब
इस्लाम के नाम फैल रहे आतंक को रोकने के लिए अब कई देश प्रतिबद्ध होते जा रहे हैं. हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सात मुस्लिम देशों के मुस्लिम लोगों पर अमेरिका में आने को लेकर बैन लगाया ही था की एक और बड़े देश ने मस्जिद बंद और कुरान पर रोक लगाने का ऐलान कर डाला है.इतना ही नहीं इस देश ने इस्लामिक देशों से आ रहे शरणार्थियों पर भी बिलकुल रोक लगाने के बाद अपने देश में इस्लामिक प्रचार केन्द्रों और साथ ही साथ बुर्के पर भी सख्ती से बैन लगाने की बात कही. जाने कौनसा है देश जहाँ होगा यह सब
यह
बड़ी खबर नीदरलैंड से आयी है
नीदरलैंड के भावी प्रधानमंत्री
व डच फ्रीडम पार्टी
के नेता “गर्ट विल्डर्स” ने इस्लाम के
खिलाफ बड़ा फैसला लिया है. विल्डर्स ने इस्लाम के
खिलाफ एक ऑनलाइन मैनिफेस्टो
जारी किया है जिसमे उन्होंने
सम्पूर्ण रूप से इस्लाम मुक्त
का नारा दिया है. साथ ही दावा किया
की प्रधानमंत्री बनते ही नीदरलैंड में
कुरआन पर बैन लगा
देंगे और देश की
सभी मस्जिदों को बंद करवा
देंगे.
इस वक़्त वो नीदरलैंड में एक सांसद हैं और मार्च में प्रधानमंत्री पद के लिए होने जा रहे चुनावों में मजबूत दावेदार हैं. उन्होंने कुरान की तुलना हिटलर की बायोग्राफी “मेन कम्फ” से करते हुए कहा की वो प्रधानमंत्री बनते ही इस्लामिक देशीं से आ रहे शरणार्थियों पर भी बिलकुल रोक लगा देंगे
बनते
ही वो देश में
चल रहे इस्लामिक मदरसों और इस्लामिक प्रचार
केन्द्रों को बंद करवा
देंगे, साथ ही बुर्के पर
सख्ती से बैन लगा
देंगे. गर्ट विल्डर्स का ये मैनिफेस्टो
दिखता है की आतंकवाद
से दुनिया का करीब करीब
हर देश त्रस्त हो चुका है.
सबसे बड़ी बात तो ये है
की गर्ट की पार्टी पीवीवी
अभी तक के सभी
ओपिनियन पोल्स में जीतती ही दिखाई दे
रही है. इससे ये मन जा
रहा है की नीदरलैंड
की जनता भी इस्लाम के
खिलाफ मन बना चुकी
है.
उन्होंने
कहा की अगले साल
प्रधानमंत्री बनते ही वो देश
में चल रहे इस्लामिक
मदरसों और इस्लामिक प्रचार
केन्द्रों को बंद करवा
देंगे, साथ ही बुर्के पर
सख्ती से बैन लगा
देंगे. गर्ट विल्डर्स का ये मैनिफेस्टो
दिखता है की आतंकवाद
से दुनिया का करीब करीब
हर देश त्रस्त हो चुका है.
सबसे बड़ी बात तो ये है
की गर्ट की पार्टी पीवीवी
अभी तक के सभी
ओपिनियन पोल्स में जीतती ही दिखाई दे
रही है. इससे ये मन जा
रहा है की नीदरलैंड
की जनता भी इस्लाम के
खिलाफ मन बना चुकी
है.
आज
सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि
पूरा विश्व आतंकवाद से चिंतित है। विश्व
के सारे देश आपसी मतभेद होने के बावजूद भी
आतंकवाद के मुद्दे पर
विश्व मंच पर एक साथ
खड़े होते है। भारत
आतंकवाद के मुद्दे पर
सबसे पहले प्राथमिकता देता है पर भारत
अपने ही देश में
आतंकवाद प्रेमी कुछ लोगो के सामने विवश
सा दिखाई पड़ता है और इसका
सबसे बड़ा कारण हमारे देश का सरल संविधान
और कुछ
नेता है जो अपने
स्वार्थ के लिए भारत
को आतंकवादी मुक्त नहीं बल्कि आतंकवादी युक्त देश बनाने पर जोर दे
रहे है , मित्रो आतंकवाद कोई धर्म नहीं, आतंकवाद कोई जात नहीं, आतंकवाद कोई व्यक्ति नहीं बल्कि आतंकवाद एक हिंसात्मक सोच
है , जो इंसानियत और
मासूमो के लिए अभिशाप
है , जिसका सृजन अब भारत में
ही कुछ विशेष लोगो ,समूहों में तेजी से हो रहा
है। आज
आप रोज़ टीवी पर
देखते या सुनते होंगे
कि देश में कुछ ऐसे भी लोग है
जो देश का राष्ट्रगान गाने
पर विरोध करते है तो जरा
सोचिये कि अगर कभी
पाकिस्तान से जंग छिड़
जाए तो क्या ऐसे
लोग भारत का साथ देंगे
या पाकिस्तान का आप खुद
ही अनुमान लगा सकते है , दोस्तों मुसलमान वो नहीं जिसके
लिए उसका देश एवं राष्ट्रगान हराम हो बल्कि मुसलमान
वो है जिसके लिए
कुरान के साथ गीता
और बाइबल का भी दिल
में नाम हो और वो
नाम है डॉ. ए.
पी. जे. अब्दुल कलाम जो कुरान के
साथ साथ गीता भी पढ़ा करते
थे शायद इसलिए ही वो देश
का विरोध करने वाले कुछ लोग के सामने सच्चे
मुसलमान भले ही ना हो
पर ईश्वर और अल्लाह के
नजर में अच्छे इंसान जरूर है इसलिए
मैं ही क्या बल्कि
पूरा देश ऐसे महान इंसान को हमेसा अपने
अंदर जिन्दा रखेगा। वन्दे
मातरम