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Thursday 23 June 2016

.तो सिर्फ 36 घंटे में यूरोप के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लेंगे पुतिन!





नई दिल्ली। सिर्फ 36 घंटे, जी हां 36 घंटे यानि सिर्फ डेढ़ दिन में क्या कोई यूरोप को जीत सकता है। आप सोच में पड़ गए होंगे कि ये क्या बात हुई, लेकिन अमेरिका का एक बड़ा फौजी जनरल ये भविष्यवाणी कर रहा है। उसने साफ कह दिया है कि अगर रूसी राष्ट्रपति ब्लादीमीर पुतिन के सिर में गुस्से का भूत सवार हो गया तो वो सिर्फ 36 घंटे में यूरोप के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लेंगे।
36 घंटे का ये महायुद्ध छिड़ सकता है रूस और नाटो देशों के बीच, वो नाटो जिसका अमेरिका मुखिया है। रूस और अमेरिका दोनों ही हाथों में तबाही का तराजू लेकर एक दूसरे को तौल रहे हैं, जहां एशिया में चीन ने तनाव बढ़ा रखा है वहीं यूरोप में इस वक्त रूस बौखलाया हुआ है। पुतिन को रूस की सरहद पर नाटो देशों की फौज बर्दाश्त नहीं हो रही है, पुतिन ने आज अल्टीमेटम दे दिया, तो उसी वक्त अमेरिकी फौजी जनरल की 36 घंटे की भविष्यवाणी ने अमेरिका को सन्न कर दिया।रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमीर पुतिन पेशे से खतरनाक कमांडो रहे हैं। एक ऐसा कमांडो जो आते हुए खतरे को भांप लेता है, जो खुद को छुपा कर दुश्मन पर टूट पड़ने की तैयारी कर लेता है। पुतिन को यूरोप में जुट रहे अपने दुश्मन दिख चुके हैं और इशारों में दुनिया के सुपरपॉवर का ये राष्ट्रपति जंग की धमकी दे रहा है। कह रहा है कि अगर हमें आंख दिखाओगे तो हमारा दूसरा शैतान तुम्हें मिटा देगा। शैतान जिसे अंग्रेजी में SATAN भी कहते हैं। ये है रूस की मिसाइलों की नई रेंज जो बेहद खतरनाक और विनाशकारी है।
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रूस ने SATAN-2 बना ली है और इसी नई मिसाइल ने अमेरिका का सुख चैन छीन लिया है। पुतिन की SATAN-2 से पूरी दुनिया खौफजदा है क्योंकि ये मिसाइल 10 हजार किलोमीटर दूर तक मार करेगी और बेहद तेज गति से 7 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से चलेगी और उसकी रफ्तार के आगे अमेरिकी एंटी-मिसाइल सिस्टम फेल हो जाएंगे। SATAN-2 के बार में सिर्फ दो ही वाक्य काफी है कि SATAN-2 को बीच में मार गिराया नहीं जा सकता, ये एक वार में फ्रांस के आकार के बराबर जमीन खाक कर देगी। SATAN-2 अगर ब्रिटेन पर गिरेगी तो पूरा ब्रिटेन खत्म हो जाएगा, जबकि नीदरलैंड, उत्तरी फ्रांस और बेल्जियम तक असर होगा।
38 घंटे के महायुद्ध की कहानी दरअसल, इसी मिसाइल से शुरू होती है, दिलचस्प बात ये है कि पुतिन के मिसाइल स्टॉक की इस नई मिसाइल को SATAN-2 नाम रूस ने नहीं बल्कि 28 देशों के जंगी गुट नाटो ने दिया है। रूस में तो इस मिसाइल को RS-28 SARMAT कहा जा रहा है। नाटो का नेता कोई भी हो उसके पीछे दिमाग, पैसा और फौजी अमेरिका के सबसे ज्यादा हैं। और बस इसी शैतानी मिसाइल के डर ने अमेरिका की कमान में यूरोप के 28 देशों यानी नाटो को जंग के लिए तैयार कर लिया है।
नाटो (NATO) यानि The North Atlantic Treaty Organisation एक ऐसा फौजी गठबंधन जिसकी नींव 1949 में पड़ी, लेकिन जो हरकत में कुछ साल पहले आया है। कहा जा रहा है कि नाटो के बहाने अमेरिका रूस को दबाने की फिराक में है। खुद रूसी राष्ट्रपति पुतिन भी नाटो से बेतरह चिढ़ते हैं, कुछ दिन पहले रूस की आलीशान विक्ट्री परेड में पुतिन ने नाटो की तुलना असली शैतान से की थी। कहा था कि नाटो छल, कपट का दूसरा नाम है, जो सिर्फ रूस को भड़काता, उकसाता है और रूस की जासूसी, निगरानी के साथ धमकाता भी है। और पुतिन का गुस्सा तो उस वक्त सातवें आसमान पर चला गया जब उन्हें बताया गया कि अमेरिका ने पोलैंड में अपना एंटी मिसाइल सिस्टम तैनात कर दिया है।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के मुताबिक ये अमेरिकी रणनीतिक परमाणु मिसाइलों का हिस्सा हैं। जो पूर्वी यूरोप के कगार पर तैनात हैं। और जो लोग भी इस फैसले का हिस्सा बने हैं वो जान लें कि अब तक वो शांति और सुरक्षा के साथ बिना परेशानी के जीते आए हैं। मगर अब इस मिसाइल रक्षा कवच की तैनाती के बाद हमें सोचना होगा कि हम रूस की सुरक्षा के लिए पैदा हुए खतरे से कैसे निपटें।
पुतिन की वॉर्निंग से खलबली मच गई। पुतिन ने यहां तक कह दिया था कि नाटो देशों का हमलावर रवैया ही रूस को बाल्टिक देशों से लगी अपनी सरहद पर फौज जुटाने पर मजबूर कर रहा है क्योंकि रूस अपनी सीमा से किसी को भी खिलवाड़ नहीं करने देगा। लेकिन, इसी वॉर्निंग के कुछ ही घंटों बाद एक अमेरिकी जनरल चुप नहीं रहा सका। उसने जुबान खोली और वो जो कुछ बोला उसने पूरी दुनिया खास कर नाटो के 28 यूरोपीय देशों को सन्न कर दिया। इस अमेरिकी जनरल ने एक जर्मन पक्षिका डाई जीट में भविष्यवाणी की, उसने कहा कि अगर रूसी राष्ट्रपति पुतिन चाहें तो वो यूरोप के बड़े हिस्से में सिर्फ 36 घंटों में कब्जा कर लें, सिर्फ 36 घंटे यानि डेढ़ दिन में उसने कहा कि जब तक हम अपनी फौज को तैयार करेंगे, रूसी फौज खेल कर चुकी होगी।
नाटो में कमांडर बाल्टिक फोर्स जनरल बेन हॉजेस के मुताबिक अगर रूस ने हमला किया तो नाटो बाल्टिक इलाके के देशों को बचा नहीं सकता। रूस बाल्टिक देशों की राजधानियों को सिर्फ 36 घंटों में जीतने की कूवत रखता है। हम जब तक अपने भारी भरकम सैनिक साजोसामान एक जगह से हटाकर दूसरी जगह तैनात करेंगे, रूस उन देशों को जीत चुका होगा। क्योंकि रूस ने अपनी दक्षिण पश्चिमी सीमा पर नए फौजी डिविजन तैयार कर लिए हैं।
अमेरिकी फौज का जनरल हॉजेस सावधान कर रहा है। उसने साफ कह दिया है कि यूरोप में तैनात नाटो के 67 हजार फौजी तीन बाल्टिक देशों को रूसी हमले से बचा नहीं सकेंगे। आखिर वो कौन से मुल्क हैं, जिन्हें रूसी राष्ट्रपति पुतिन के क्रोध से अमेरिका और नाटो के कुल 28 मुल्क भी बचा नहीं सकेंगे। और आखिर क्यों अमेरिका जैसा महाबलि भी पुतिन के आगे लाचार होता नजर आ रहा है। क्या ये सिर्फ रूसकी नई मिसाइल सैटन-2 की दहशत है या फिर कुछ और।
ये देश हैं एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया  दो देश तो रूस की सरहद से सटे हुए हैं, जबकि तीसरी भी काफी करीब है, ये तीनों देश नाटो का हिस्सा हैं। अमेरिकी जनरल के मुताबिक इन्हें जीतने में रूस को कम से कम 36 और अधिक से अधिक 60 घंटे लगेंगे। यानि अगर ये युद्ध हुआ तो 36 घंटों में ही रूस जीत लेगा।
रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल (रि.) आर एस सिन्हो के मुताबिक ये पूरे यूरोप में तो रूस कब्जा नहीं कर पाएगा, लेकिन खासकर जो बाल्टिक देश हैं जो रूस के सीमा से लगे तीन देश हैं। इनके ऊपर रूस कब्जा कर सकता है, लेकिन उसे दस दफे सोचना पड़ेगा। रूस जो बता रहा है वो नाटो को एक वार्निंग की तरह है।
सवाल ये है कि आखिर एक अमेरिकी जनरल अपने ही देश को मायूस करने वाली भविष्यवाणी क्यों कर रहा था। बताया जा रहा है कि नाटो देशों ने हाल ही में पोलेंड में एक बड़ा युद्ध अभ्यास किया है, और उन्हें अपनी असली औकात एनाकॉन्डा नाम के इस युद्ध अभ्यास में ही पता चल गई।
नाटो कमांडर बाल्टिक फोर्स जनरल बेन हॉजेस के मुताबिक नाटो के फौजियों की हालत अच्छी नहीं है। एक नहीं अनेक दिक्कतों से जूझ रह हैं वे। ता नो उनके रेडियो कम्युनिकेशन सिस्टम ठीक काम करते हैं न ही उनकी ईमेल सुरक्षित हैं। मुझे लगता है कि जो कुछ भी मैं अपने ब्लैकबेरी से लिखता हूं दूसरे लोग भी उसे पढ़ते हैं, उसकी पूरी निगरानी की जा रही है।
पोलैंड में चला युद्ध अभ्यास एनाकॉन्डा में 24 मुल्कों के करीब 31000 फौजियों ने हिस्सा लिया, 7 जून से शुरू हुई ये एक्सरसाइज 10 दिनों तक रूस को, पुतिन को सिरदर्द देती रही। पूरी यूरोप में शीतयुद्ध के बाद से ये सबसे बड़ी फौजी हरकत थी, पोलैंड में अमेरिका, ब्रिटेन समेत 24 देशों की फौजें डटी थीं, नाटो सदस्यों के बीच फौजी तालमेल बढ़ाना। ये था इसका मंत्र, लेकिन असली मंत्र को पुतिन को अपनी ताकत दिखाना था।
अमेरिकी  उप रक्षा मंत्री रॉबर्ट वर्क का कहना है कि रूसी डरते हैं कि कहीं ये मिसाइलें उनके सामरिक बल के लिए खतरा न बन जाएं।
लेकिन सच तो ये है कि नाटो के 28 देशों पर रूस भारी पड़ता नजर आ रहा है। ये देश रूस से बेतरह डरते हैं। ये डर ही था कि नाटो के फौजियों के होने के बावजूद पोलैंड में चले इतने बड़े युद्ध अभ्यास से नाटो का नाम जोड़ने का साहस किसी ने नहीं किया।
रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल (रि.) आर एस सिन्हो ने कहा है कि पिछले साल से नाटो देश और रूस के बीच बाल्टिक इलाके में टेंशन डिवेलप हो रही है। आंतकवादियों और टेररिस्ट के कंट्रोल के मामले में सबसे पहले तो सीरिया में हुआ। उसके बाद यूक्रेन में जो रूस ने जो क्रीमिया के ऊपर कब्जा किया। तभी से ये हालात बने हुए हैं। इसके अलावा नाटो देशों को अमेरिका ने तैयार रहने के लिये कहा कि अगर वाकई में कोल्ड वार सिचुयेशन बन रही है औऱ ये रूस की तरफ से अमेरिका को वार्निंग है।
ये तनाव हर दिन बढ़ता ही जा रहा है। अजीब इत्तेफाक है 1941-45 के बीच दूसरे विश्व युदध् में भी यूरोप का यही इलाका धधकता हुआ जलने लगा था। उस वक्त भी ऐसे ही देशों के बीच गोलबंदी बनी हुई थी। लेकिन, तब इन देशों के पास परमाणु बम नहीं थे। सिर्फ अमेरिका के पास थे जो उसने जापान पर इस्तेमाल किए थे,  लेकिन हकीकत में पूरे यूरोप में उस वक्त एक भी परमाणु संयंत्र नहीं था जबकि अब इस इलाके में 185 परमाणु संयंत्र रात दिन काम कर रहे हैं। ये क्या इत्तेफाक कहा जाएगा कि पुतिन की जुबान पर एक बार फिर दूसरा विश्व युद्ध आ गया।
रूसी राष्ट्रपति ब्लादीमीर पुतिन ने कहा कि हमने हमेशा ही दुनिया को चेताया है खतरनाक लोगों से, एक दौर में सोवियत संघ ने हिटलर को खतरनाक बताया था, लेकिन तब हमारी चेतावनी को सबने नजर अंदाज कर दिया और बाद में पूरी दुनिया इस खतरे से झेली। अब एक बार फिर दूसरे विश्व युद्ध में सोवियत संघ पर नाजी जर्मनी के हमले की उसी तारीख पर रूस एक और खतरे की ओर सबसे ध्यान दिला रहा है। ये खतरा है यूक्रेन में, लेकिन एक बार फिर हमारी बात को गंभीरता से लिया नहीं जा रहा है।
इधर पुतिन ये बयान दे रहे थे उधर नाटो की ओर से ये ऐलान किया जा रहा था कि वो रूस से सटे एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया और पोलैंड की सुरक्षा के लिए चार और बटालियन तैनात करेगा, ताकि रूस के आक्रामक रुख का सामना किया जा सके। शायद नाटो इशारों में ये बताना चाह रहा है कि यही वो चार देश हैं जिनपर एक दौर में सोवियत संघ का राज चलता था। और आज पुतिन को इन देशों पर राज करने की हसरत है।

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